Hindi stories for kids – ये कहानियाँ न केवल बच्चों को मनोरंजन प्रदान करेंगी, बल्कि उन्हें महत्वपूर्ण नैतिक मूल्यों और जीवन के सबक भी सिखाएंगी।
Table of Contents – Hindi stories for kids
कहानी 1: चतुर खरगोश और लालची शेर
बहुत समय पहले की बात है, एक घने जंगल में एक बड़ा और डरावना शेर रहता था। वह जंगल के सभी जानवरों को डराता और उन्हें खाने की धमकी देता। जानवर इस बात से बहुत परेशान थे और उन्होंने मिलकर एक योजना बनाई।
वे शेर के पास गए और उससे बोले, “हे जंगल के राजा, हम आपके लिए हर रोज एक जानवर भेजेंगे ताकि आपको शिकार करने की जरूरत न पड़े। इस तरह हम सब खुश रहेंगे और आप भी।” शेर ने उनकी बात मान ली।
एक दिन, एक चतुर खरगोश की बारी आई। वह नहीं चाहता था कि शेर उसे खा जाए, इसलिए उसने एक योजना बनाई। वह धीरे-धीरे शेर के पास पहुंचा। शेर बहुत गुस्से में था क्योंकि वह भूखा था और खरगोश देर से आया था।
शेर ने गुस्से में पूछा, “तुम इतनी देर क्यों कर रहे हो?”
खरगोश ने शांति से उत्तर दिया, “महाराज, मैं आ रहा था, लेकिन रास्ते में मुझे एक और शेर मिला। उसने कहा कि वह इस जंगल का असली राजा है और उसने मुझे पकड़ लिया। लेकिन मैं किसी तरह भाग निकला और आपके पास आ गया।”
शेर ने गरजते हुए कहा, “कहां है वह शेर? मुझे दिखाओ!”
खरगोश शेर को एक गहरे कुएं के पास ले गया और कहा, “वह शेर इस कुएं में है।” शेर ने कुएं में झांक कर देखा और उसे अपनी ही परछाई नजर आई। उसने सोचा कि यह वही दूसरा शेर है और उस पर झपटने के लिए कुएं में कूद गया।
शेर कुएं में गिर गया और डूब गया। इस तरह चतुर खरगोश ने अपने और जंगल के सभी जानवरों की जान बचाई। सभी जानवर खुश हो गए और खरगोश की तारीफ करने लगे।
कहानी 2: ईमानदार लकड़हारा
एक बार की बात है, एक गाँव में एक ईमानदार लकड़हारा रहता था। वह अपने परिवार के लिए लकड़ी काटकर आजीविका कमाता था। एक दिन, जब वह नदी के किनारे पेड़ काट रहा था, तो गलती से उसकी कुल्हाड़ी पानी में गिर गई। वह बहुत दुखी हो गया क्योंकि वह गरीब था और नई कुल्हाड़ी खरीदने के लिए उसके पास पैसे नहीं थे।
वह नदी के किनारे बैठकर रोने लगा। तभी नदी से एक जलपरी प्रकट हुई और उसने लकड़हारे से पूछा, “तुम क्यों रो रहे हो?”
लकड़हारे ने उत्तर दिया, “मेरी कुल्हाड़ी नदी में गिर गई है और मैं गरीब हूं, नई कुल्हाड़ी खरीदने के लिए मेरे पास पैसे नहीं हैं।”
जलपरी ने कहा, “चिंता मत करो, मैं तुम्हारी मदद करूंगी।” उसने पानी में गोता लगाया और सोने की कुल्हाड़ी लेकर आई। “क्या यह तुम्हारी कुल्हाड़ी है?” उसने पूछा।
लकड़हारे ने ईमानदारी से कहा, “नहीं, यह मेरी कुल्हाड़ी नहीं है।”
फिर जलपरी ने पानी में दूसरा गोता लगाया और चांदी की कुल्हाड़ी लेकर आई। “क्या यह तुम्हारी कुल्हाड़ी है?” उसने फिर पूछा।
लकड़हारे ने कहा, “नहीं, यह भी मेरी कुल्हाड़ी नहीं है।”
अंत में, जलपरी ने लकड़हारे की पुरानी लोहे की कुल्हाड़ी पानी से निकालकर दी। “क्या यह तुम्हारी कुल्हाड़ी है?” उसने पूछा।
लकड़हारे ने खुशी से कहा, “हां, यह मेरी कुल्हाड़ी है।”
जलपरी उसकी ईमानदारी से बहुत खुश हुई और उसने लकड़हारे को सोने और चांदी की कुल्हाड़ियाँ भी उपहार में दीं। लकड़हारा बहुत खुश हुआ और उसने जलपरी का धन्यवाद किया। वह तीनों कुल्हाड़ियाँ लेकर घर गया और अपने परिवार के साथ खुशी-खुशी रहने लगा।
कहानी 3: चालाक लोमड़ी और काला कौआ
एक बार की बात है, एक जंगल में एक चालाक लोमड़ी रहती थी। एक दिन, उसने एक काले कौवे को देखा जो एक टहनी पर बैठा था और अपनी चोंच में एक बड़ा टुकड़ा पनीर दबाए हुए था। लोमड़ी के मुँह में पानी आ गया और उसने सोचा, “कैसे भी करके मुझे यह पनीर चाहिए।”
लोमड़ी ने कौवे से मीठी आवाज में कहा, “ओ काले कौवे, तुम कितने सुंदर हो! तुम्हारी आवाज कितनी मीठी है! अगर तुम मुझे अपने सुरीले गीत सुनाओगे, तो मैं बहुत खुश हो जाऊंगी।”
कौवा लोमड़ी की बातों में आ गया और गाने के लिए अपनी चोंच खोली। जैसे ही उसने चोंच खोली, पनीर का टुकड़ा नीचे गिर पड़ा। लोमड़ी ने तुरंत पनीर उठा लिया और खुशी-खुशी चली गई।
कौवा अब समझ चुका था कि लोमड़ी ने उसकी तारीफ सिर्फ पनीर पाने के लिए की थी। इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें हमेशा अपनी समझ का उपयोग करना चाहिए और किसी की भी चापलूसी में नहीं आना चाहिए।
कहानी 4: बुद्धिमान कौआ
एक दिन, एक प्यासा कौआ पानी की तलाश में इधर-उधर उड़ रहा था। बहुत देर तक उड़ने के बाद, उसे एक घड़ा दिखाई दिया। कौआ खुशी-खुशी घड़े के पास पहुंचा, लेकिन घड़ा आधा भरा हुआ था और पानी बहुत नीचे था। कौआ ने अपनी चोंच से पानी पीने की कोशिश की, लेकिन वह असफल रहा।
कौआ बहुत ही बुद्धिमान था। उसने इधर-उधर देखा और उसे कुछ कंकड़ दिखाई दिए। कौआ ने एक-एक करके कंकड़ उठाया और घड़े में डालने लगा। धीरे-धीरे घड़े में पानी का स्तर बढ़ता गया और आखिरकार पानी ऊपर आ गया। कौआ ने आराम से पानी पिया और अपनी प्यास बुझाई।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि बुद्धिमानी और धैर्य से हर समस्या का समाधान किया जा सकता है।
कहानी 5: दो बिल्लियाँ और बंदर
एक बार की बात है, दो बिल्लियाँ थीं जो बहुत अच्छी मित्र थीं। एक दिन, उन्हें एक रोटी का टुकड़ा मिला। दोनों ने रोटी के टुकड़े को आधा-आधा बांटने का फैसला किया, लेकिन जब उन्होंने बांटने की कोशिश की, तो एक टुकड़ा बड़ा और दूसरा छोटा निकला।
दोनों बिल्लियाँ लड़ने लगीं कि किसे बड़ा टुकड़ा मिलना चाहिए। तभी एक बंदर वहाँ से गुजर रहा था। उसने बिल्लियों को लड़ते देखा और सोचा, “यह मेरे लिए अच्छा मौका है।”
बंदर ने बिल्लियों से कहा, “मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूँ। मुझे रोटी दो, मैं इसे बराबर बांट दूंगा।” बिल्लियों ने बंदर को रोटी दे दी।
बंदर ने रोटी के दोनों टुकड़े तौलते हुए एक टुकड़ा काटा और खा लिया, ताकि दोनों टुकड़े बराबर हो जाएं। फिर भी दोनों टुकड़े बराबर नहीं हुए। बंदर ने फिर से एक टुकड़ा काटा और खा लिया। इस तरह, बंदर ने पूरी रोटी खा ली और बिल्लियों को कुछ नहीं मिला।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें अपनी समस्याओं को खुद ही सुलझाना चाहिए और किसी तीसरे व्यक्ति पर निर्भर नहीं रहना चाहिए, जो हमारे लाभ का फायदा उठा सकता है।