IIT Baba AKA Abhay Singh आज हम बात कर रहे है अभय सिंह, जिन्हें ‘आईआईटी बाबा’ के नाम से भी जाना जाता है, जो की हाल ही में सम्पन महाकुम्भ में चर्चा में आए थे। ये एक ऐसे व्यक्तित्व हैं जिन्होंने आधुनिक शिक्षा और करियर को त्यागकर आध्यात्मिक मार्ग को अपनाया। उनकी कहानी आज के युवाओं के लिए प्रेरणादायक है, जो जीवन के वास्तविक उद्देश्य की खोज में हैं।
आईआईटीयन बाबा के नाम से मशहूर अभय सिंह ने एयरोस्पेस इंजीनियर से आध्यात्मिक का रास्ता बनने के अपने असाधारण परिवर्तन से लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया है। आईआईटी बॉम्बे से स्नातक अभय बचपन से ही एक शीर्ष छात्र थे, जिन्होंने 10वीं में 93% और 12वीं की परीक्षा में 92.4% अंक प्राप्त किए थे और कथित तौर पर जेईई 2008 में 731 का एआईआर हासिल किया था।

IIT Baba AKA Abhay Singh प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
अभय सिंह उर्फ़ IIT बाबा का जन्म 3 मार्च 1990 को हरियाणा के झज्जर जिले के ससरोली गांव में हुआ था। उनके पिता, करण सिंह ग्रेवाल, झज्जर बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष हैं, और माता शीला देवी एक वकील हैं। अभय की एक बड़ी बहन है, जो शादी के बाद कनाडा में बस गईं और अब अमेरिका में रहती हैं। अभय ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा झज्जर में पूरी की और 12वीं कक्षा तक यहीं पढ़ाई की। इसके बाद, उन्होंने 2008 में मुंबई स्थित प्रतिष्ठित आईआईटी बॉम्बे में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में दाखिला लिया। 2014 में बीटेक पूरा करने के बाद, उन्होंने वहीं से एमटेक भी पूरा किया।
आध्यात्मिकता की ओर रुझान
अभय सिंह ने अपनी शिक्षा के दौरान सनातन धर्म दर्शनशास्त्र में गहरी रुचि विकसित की। उन्होंने नवउत्तरवाद, सुकरात, और प्लेटो जैसे दार्शनिकों के लेख और किताबें पढ़ीं, जिससे उनकी जीवन की दृष्टि में परिवर्तन आया और उनकी सोच में परिवर्तन आया । उन्होंने कुछ समय के लिए एक कोचिंग सेंटर भी चलाया, जहां वे भौतिकी पढ़ाते थे, लेकिन उनका मन आध्यात्मिकता की ओर अधिक आकर्षित हुआ।
IIT Baba AKA Abhay Singh संन्यास का निर्णय
वर्ष 2021 में कनाडा से लौटने के बाद, अभय सिंह IIT बाबा ने महादेव की शरण में जाने का निर्णय लिया। उन्होंने बताया कि, “महादेव ने मुझे वो रास्ता दिखाया, जिसे मैं पहले 9 सालों से तलाश रहा था।” यह बदलाव न केवल उनके लिए, बल्कि उनके आस-पास के सभी लोगों के लिए भी चौंकाने वाला था।
एक प्रतिष्ठित संस्थान से डिग्री लेने के बाद और दुनिया में नाम कमाने की बजाय, अभय ने अपनी खोज को आंतरिक शांति और आध्यत्मिक आत्मिक अनुभव की ओर मोड़ लिया। उनका कहना है कि, “विज्ञान ने मुझे बहुत कुछ सिखाया, लेकिन आध्यात्म ने मुझे जीवन के असल अर्थ से जोड़ा।”
IIT Baba AKA Abhay Singh महाकुंभ 2025 में उपस्थिति
प्रयागराज महाकुंभ 2025 के दौरान, अभय सिंह की उपस्थिति ने सबका ध्यान अपनी और आकर्षित किया। social मीडिया पर उनकी वायरल वीडियो और विचारों ने उन्हें एक बड़ी पहचान दिलाई। उन्होंने अपनी आध्यात्मिक यात्रा के बारे में विस्तार से बताया, जिसमें उन्होंने अपने जीवन के संघर्ष और विचारों को लोगो के साथ साझा किया। IIT बाबा का मानना है कि सिद्धांतों और विज्ञान के जरिए ही वह आध्यात्मिकता को समझ सकते हैं। वह कहते हैं, “सब कुछ शिव है, शिव ही सत्य है और शिव ही सुंदर है।”
IIT Baba AKA Abhay Singh परिवार से दूरियाँ
इस बाहरी दुनिया से संन्यास लेने के बाद, अभय सिंह ने अपने परिवार से भी संपर्क तोड़ लिया है। उनके माता-पिता और बहन कई बार उन्हें ढूंढने के लिए प्रयागराज पहुंचे, लेकिन अभय ने उनका नंबर भी ब्लॉक कर दिया था। उनका कहना है, “मुझे इस सामाजिक दायरे से बाहर निकलना बहुत मुश्किल था, लेकिन अब मैं इस मार्ग पर पूरी तरह से समर्पित हूं।” और इसी में अपना जीवन बिताना चाहता हु।
विवाद और चुनौतियाँ
हाल ही में, एक टीवी शो में अभय सिंह के साथ मारपीट का मामला सामने आया है। 28 फरवरी 2025 को, उन्हें एक टीवी शो में बुलाया गया था, जहां उनके दूसरे साधुओ के साथ हाथापाई की घटना घटी। अभय सिंह ने इसकी शिकायत पुलिस में भी की है। उन्होंने आरोप लगाया कि एक न्यूज चैनल के स्टूडियो में भगवा वस्त्र पहने कुछ लोगों ने उनके साथ बदसलूकी की, उन्हें कमरे में बंद करने की कोशिश की और डंडों से हमला किया। इस दौरान उन्होंने इंस्टाग्राम लाइव भी शुरू कर दिया था, जिसे बाद में जबरन बंद करवा दिया गया। और उन्हें काफी कुछ अपशब्द कहे गए।
प्रेरणा और संदेश
अभय सिंह की कहानी हमें यह सिखाती है कि सांसारिक मोह और माया से परे जाकर अपनी आत्मा की शांति को पाना सबसे महत्वपूर्ण है। उनकी यात्रा उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है, जो दुनिया के रंग-रूप से परे अपने जीवन में सच्चे उद्देश्य को खोज रहे हैं। अभय का जीवन एक प्रेरणा है, जो यह दिखाता है कि कभी-कभी जीवन में बहुत बड़ी उपलब्धियों के बावजूद, व्यक्ति को आंतरिक शांति की तलाश रहती है। अभय सिंह ने यह साबित किया कि मनोबल और आध्यात्मिक शांति के लिए हमें अपने दिल की सुननी चाहिए, चाहे वह किसी भी रास्ते पर हो।
निष्कर्ष
अभय सिंह की कहानी आधुनिक समाज में एक महत्वपूर्ण संदेश देती है। उन्होंने दिखाया कि जीवन में बाहरी सफलता के अलावा आंतरिक शांति और संतोष भी महत्वपूर्ण हैं। उनकी यात्रा यह सिखाती है कि हमें अपने वास्तविक उद्देश्य की खोज करनी चाहिए और अपने मन की सुननी चाहिए, चाहे वह मार्ग कितना भी कठिन क्यों न हो। अभय सिंह का जीवन एक प्रेरणा है, जो हमें यह सिखाता है कि सच्ची खुशी और संतोष बाहरी उपलब्धियों में नहीं, बल्कि आत्मज्ञान और आंतरिक शांति में है।